-->

SR NEWS BIHAR NETWORK

जातिगत जनगणना में पिछड़ा, अतिपिछड़ा की गिनती के बाद भी आंकड़े केंद्र सरकार क्यों जारी नहीं करना चाहती है, स्थिति स्पष्ट करे: प्रो0 मनोज कुमार झा

जातिगत जनगणना में पिछड़ा, अतिपिछड़ा की गिनती के बाद भी आंकड़े केंद्र सरकार क्यों जारी नहीं करना चाहती है, स्थिति स्पष्ट करे: प्रो0 मनोज कुमार झा


जातिगत जनगणना में पिछड़ा, अतिपिछड़ा की गिनती के बाद भी आंकड़े केंद्र सरकार क्यों जारी नहीं करना चाहती है, स्थिति स्पष्ट करे: प्रो0 मनोज कुमार झा

पटना 09 जून, 2025

 राष्ट्रीय जनता दल के राज्य कार्यालय के कर्पूरी सभागार में राजद के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता प्रो0 मनोज कुमार झा ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री उदय नारायण चौधरी, प्रदेश राजद के मुख्य प्रवक्ता श्री शक्ति सिंह यादव, प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद, चितरंजन गगन, अरूण कुमार यादव एवं प्रदेश महासचिव श्री मदन शर्मा की उपस्थिति में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में 65 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था में 16 प्रतिशत हकमारी और अधिकार में की गई कटौती पर नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी प्रसाद यादव जी ने 04 जून 2025 को बिहार के मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र लिखा था लेकिन अब तक पावती रसीद भी नहीं आयी कि वो पत्र मुख्यमंत्री जी को मिला भी है कि नहीं यह क्यों नहीं बताया जा रहा है। बिहार में परिपाटी हो गई है कि चिट्टी का जवाब नहीं दिया जाय। इससे स्पष्ट होता है कि बिहार में सरकार जनहित और आरक्षण के मुद्दे पर राज्य सरकार गंभीर नहीं है। तेजस्वी जी ने पत्र में बहुजन आबादी को हक और अधिकार दिलाने तथा आरक्षण व्यवस्था को 65 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने के लिए विधान सभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है ,लेकिन सरकार इस मामले पर गंभीरता नहीं दिखा रही है। बिहार में आरक्षण व्यवस्था के मामले पर सरकार की मंशा ठीक नहीं है और ये बेईमानी करके हक और अधिकार से अतिपिछड़ों, पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों को वंचित रखना चाहती है। 

 प्रो0 मनोज झा ने आगे कहा कि पहलगाम की पीड़ादायक घटना के बाद से अचानक ही प्रधानमंत्री जी को इस बात का एहसास हुआ कि बहुजन धारा की मांग के अनुसार जातिगत जनगणना कराना आवश्यक है, तो उन्होंने आनन-फानन में इसकी घोषणा तो कर दी। लेकिन भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा जो हमेशा बहुजन विरोधी और आरक्षण के खिलाफ रहा है वो अब दिखने लगा। इस संबंध में राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालू प्रसाद जी सचेत करते रहे हैं कि गुरू गोवलकर के विचारों पर बंच ऑफ थॉट्स की राजनीति करने वाले कभी भी आरक्षण के प्रति गंभीर नहीं हो सकते हैं ,जो अब स्पष्ट रूप से दिख रहा है। केन्द्र सरकार देश में होने वाले जातिगत जनगणना के कार्यों में भटकाव लाना चाहती है, आखिर क्या कारण है कि जातियों की गणना तो होगी लेकिन ओबीसी के आबादी के आंकड़े नहीं जारी किये जायेंगे जबकि संविधान की धारा 340 के अन्तर्गत आंकड़े आना आवश्यक है। जब जातियों की गिनती होगी और आंकड़े सामने नहीं आयेंगे तो निजी क्षेत्र में आरक्षण और आरक्षण बढ़ाने के प्रति कौन सी नीति लागू की जायेगी ये स्पष्ट करना चाहिए। नीति आयोग और अन्य एजेंसियां आंकड़ों के आधार पर ही योजना, सामाजिक ,आर्थिक उत्थान और आरक्षण बढ़ाने पर सरकार के स्तर से आंकड़े आने पर ही कार्य हो सकते हैं। इस संबंध में तेजस्वी जी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डीएमके और अन्य दल इस पक्ष में हैं कि आंकड़े सामने आनी चाहिए, जिससे कि आगे की योजना बनाने में और आरक्षण व्यवस्था को बढ़ाने में सहयोग मिलेगा। केन्द्र सरकार आखिर क्यों नहीं आंकड़े जारी करना चाहती है ये बताना चाहिए। जिस तरह से भाजपा और केन्द्र सरकार का सोच सामने है उससे स्पष्ट होता है कि ये लोग सामाजिक न्याय की धारा और पिछड़ों तथा अतिपिछड़ों के साथ न्याय नहीं करना चाहते हैं। 

 राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री उदय नारायण चौधरी ने कहा कि जातीय जनगणना छलावा है, इसके सन्दर्भ में कुछ भी खुलासा नहीं किया गया है। जनगणना में जातिय जनगणना का नाम लेते ही इनलोगों को तितकी लग जाती है। ये बंच ऑफ थॉट्स और मनुस्मृति वाले लोग हैं। देश में जातीय जनगणना की बात तो की जा रही है लेकिन उनको हक और अधिकार देने के प्रति गंभीरता नहीं दिख रही है क्योंकि जब जातिय जनगणना के आंकड़े ही सामने नहीं आयेंगे तो हक और अधिकार कैसे मिलेगा। तेजस्वी जी के दबाव पर बिहार में जातीय गणना करायी गई, लेकिन 65 प्रतिशत आरक्षण का फायदा नहीं मिल पा रहा है ,क्योंकि भाजपा और नीतीश सरकार की मंशा ठीक नहीं है।

 प्रदेश मुख्य प्रवक्ता श्री शक्ति सिंह यादव ने कहा कि केन्द्र सरकार बिहार के आरक्षण की 65 प्रतिशत व्यवस्था को अगर 9वीं अनुसूची में शामिल कर लिया होता तो आज 16 प्रतिशत आरक्षण की हकमारी नहीं हो रही होती। बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट का नारा देने वाले चिराग पासवान 16 प्रतिशत आरक्षण की चोरी और हकमारी पर चुप क्यों है? क्या दलितों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों और आदिवासियों के हक और अधिकार से वंचित करने वाली सरकार इन वर्गों के साथ न्याय कर रही है, यह स्पष्ट करना चाहिए।


0 Response to "जातिगत जनगणना में पिछड़ा, अतिपिछड़ा की गिनती के बाद भी आंकड़े केंद्र सरकार क्यों जारी नहीं करना चाहती है, स्थिति स्पष्ट करे: प्रो0 मनोज कुमार झा"

एक टिप्पणी भेजें

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article