
अंधा मानव और यही सच है नाटक के मंचन से हुआ अहसास कलाकृति नाट्योत्सव का समापन।
अंधा मानव और यही सच है नाटक के मंचन से हुआ अहसास कलाकृति नाट्योत्सव का समापन।
अहसास कलाकृति द्वारा आयोजित अहसास के रंग दो दिवसीय नाट्योत्सव के संग के समापन समारोह के दिन अहसास कलाकृति रंगमंडल के कलाकारों द्वारा दीपक श्रीवास्तव लिखित एवं कुमार मानव निर्देशित नाटक "अंधा मानव" तथा महिला एवं बाल सेवा मंच द्वारा मिथिलेश सिंह लिखित एवं कृष्ण जी शर्मा निर्देशित नाटक "यही सच है" का मंचन किया गया।
अंधा मानव नाटक में बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, वोट का महत्व जैसे मुद्दे को बड़े ही बेबाकी से एक चौराहे पर घटित घटनाओं के माध्यम से दर्शाया गया। वहीं महिला एवं बाल सेवा मंच द्वारा मिथिलेश सिंह लिखित एवं कृष्णा जी शर्मा निर्देशित यही सच है नाटक की प्रस्तुति की गई जिसमें सांप्रदायिक सौहार्द को दिखाया गया। इसमें भारत माता के पात्र द्वारा दिखाया गया कि दंगा किसी को कुछ नहीं देता। दंगा में न आदमी मरता है न जाति। मरता है तो सिर्फ आदमी। वो आदमी, जिस आदमी का आदमी से रिश्ता सिर्फ दो होता है एक रोटी का तो दूसरा बेटी का, तीसरा कोई रिश्ता नहीं होता। सच है तो बस यही सच है।
अंधा मानव नाटक में पागल की भूमिका भुवनेश्वर कुमार, वयस्क भिखारी मंतोष कुमार, बाल भिखारी मयंक कुमार, रिसर्चर अर्चना कुमारी, हवलदार विजय कुमार चौधरी, मद्रासी सरबिंद कुमार, नेता कुमार मानव, कार्यकर्ता राजकिशोर पासवान तथा हिमांशु कुमार ने निभाया।
यही सच है नाटक में भारत माता की भूमिका को आंशिक कुमारी ने अपने अभिनय से जीवंत कर दिया। वहीं हिन्दू चंचल कुमार, मुस्लिम भुवनेश्वर कुमार, सिख सरबिंद कुमार, ईसाई का विजय कुमार चौधरी तथा आतंकवादी का कृष्ण जी शर्मा बने थे।
रूप सज्जा माया कुमारी, पार्श्व ध्वनि मानसी कुमारी तथा मंच परिकल्पना बलराम कुमार तथा प्रकाश आर्यन कुमार ने किया।
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