
बरनवाल समाज करेगी महाधरना
पटना के गर्दनीबाग में आगामी 20 अक्टूबर 2024 को महाधरना प्रदर्शन के परिपेक्ष्य में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक पटना के बुद्ध गुर्ति के पारा बरनवाला भवन में बिहार प्रदेश के बरनवाल वैश्य महासभा के प्रदेश अध्यक्ष श्री राजकुमार प्रसाद उर्फ राजू बरनवाल जी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक के दौरान सोशल/प्रिन्ट/इलेक्ट्रोनिक मिडिया के माध्यम से बिहार एवं केन्द्र सरकार को अपने बरनवाल समाज के प्रति ध्यान आकृष्ट कराने की एक कोशिश करते हुए श्री बरनवाल जी ने कहा कि अब नहीं सहेंगे अपमान, मुझे भी चाहिए सम्मान. इस युक्ति का प्रायोजन है कि आज भी भारत के आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक रूप से कमजोर समाज को देश एवं राज्य स्तर पर अलग अलग आरक्षण की सुविधाएँ दी गई है ताकि देश के विकास में सभी समाज की भागीदारी हो, केन्द्रीय स्तर पर SC, ST और पिछडा वर्ग को आरक्षण के द्वारा आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, राजनीतिक आदि लाभ दिया जा रहा है। ठीक इसी प्रकार विहार सरकार द्वारा भी SC, ST और अति-पिछड़ा को आरक्षण देकर बिहार की सरकारी नौकरियां, शिक्षण संस्थाओं, स्वास्थ्य योजनाओं, तरकारी अनुदानों और राजनीतिक में लाभ दिया जा रहा है। परन्तु बड़े दुःख की बात है कि बरनवाल जाति को देश या राज्य स्तर पर कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है।
हन, बिहार में सभी प्रमंडल, जिले, अनुमंडल, गॉव, टोले, कस्बे में हमारे बरनवाल वैश्य समाज के लोग रहते हैं, बिहार के 38 जिले हैं अमुमन सभी जिलों में हमारे बरनवाल वैश्य परिवार के लोग गाँवों में उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं, बल्कि कुछ लोग ठेले चलाते है, सब्जी बेचते हैं, फेरी करते हैं. मुंजा बेचते हैं और अंतिम पायदान पर खड़े होकर आशिन्वित नजरों से सरकार की और लगातार, 1947 में जब भारत आजाद हुआ उस आजादी के बाद जब संविधान बाबा भीमराव अंबेडकर साहब संविधान लिखी सन् 1949 में बाबा भीमराव अंबेडकर साहब ने संविधान में कहीं नहीं लिखे थे कि वैश्य समाज के लोगों की गिनती इस देश की धरती पर नहीं की जायेगी. मैं जिस बिहार में रहता हूँ उस बिहार में 56 उपजातियाँ है और इन 56 उपजायििर्थों की संख्या क्रमशः 25 प्रतिशत हे और 25 प्रतिशत बरनवाल वैश्य लोगों की आबादी 3.5 करोड़ है, लिखित-अलिखित इस बिहार की बस्ती पर खुले आसमान में स्वछंद विचरण करने वाले लोगों की संख्या 3.5 करोड़ है इन 3.5 करोड में बरनवाल वैश्य भी सुचिता से भरे लोग हैं, समझदार लोग हैं और जहाँ भी है अपने आस पास के लोगों के साथ कदम से कदम मिलाकर उनके चले हुए मार्ग को प्रशस्त करते हैं और ऐसे लोगों की गिनती, कहीं कोई किसी के साथ बैठकरके कोई बात करने वाला न्यायोचित नेतृत्व नहीं है इस बिहार की धरती पर जितने भी नेतृत्वकर्ता, पार्टियों सभी लोग अपनी डफली-अपना राग सभी लोगों के पास है सभी लोग बरनवाल वैश्य के लोगों की चर्चा नहीं करते, हम 26% लोग हैं बिहार में इन 26% बेजुबान लोग हैं जो बोलते नहीं है, अपने काम में कर्म में विश्वास रखते हैं अंतिम पायदान में बैठकर श्रवणकर्त्ता के रूप में ताली बजाने वाले लोग हैं मैं नहीं अपितु बरनवाल-वैश्य समाज चाहता है हम अपने समाज के लोगों का आवाज बनें, सभी लोगों के मन में जो भाव है कि नेतृत्वकर्त्ता के रूप में अग्रणी भुमिका निभायें पथ प्रदर्शक बनें, अग्रणी भुमिका निभाते हुए बिहार की धरती पर मानव श्रृंखला बनें, इस मानव श्रृंखला में कतारबद्ध होकरके किसी के गले का हार बरनवाल समाज नहीं अपितु वैश्य समाज बनना चाहता है और गले का हार बनके इस बिहार कीधरती पर रहने वाले लोगों को सुशोभित करना चाहता है। मैं नहीं चाहता हमारा कहीं किसी पटल पर किसी मंच पर, किसी नेतृत्व कर्ता के सामने कोई गिनती नहीं हो बल्कि जो 1% लोग हैं 2% लोग हैं मैं जाति का नाम नहीं लेता हूँ लेकिन जो लोग हैं सात-सात उपजातियाँ हैं यादव समाज के अग्रणी भुमिका निभाने वाले लोग इन सात उपजातियाँ को एक साथ जोड़करके 14% बतलाया गया है हमारे बरनवाल वैश्य समाज के लोगों की उपजातियाँ 56 हैं, इनकी आबादी 26% हैं। इनको क्यों नहीं बताया गया, इसलिए हम सभी लोगों से भी आग्रह करना चाहते हैं कि अपने स्वाभीमान के लिए अधिकार के लिए OBC बिहार में हम थे, केन्द्र कि सूचि में हम OBC में शामिल कराना चाहते थे. बिहार में अभी भी OBC में है लेकिन केन्द्र की सूचि में OBC शामिल नहीं किया गया बल्कि विखंडित कर दिया गया हमारे बरनवाल परिवार के लोगों को, 1931 में जब जाति-गणना कराई गई थी तब भारत आजाद नहीं था, उस जाति गणना में कोड-122 बना हम OBC 26% लोगों को 2% बताया गया हमारी आबादी 12 लाख से अधिक है आजादी के 74 वर्षों के बाद भी बिहार में अब तक बरनवाल समाज का एक भी सांसद, विधायक, मेयर आदि प्रतिनिधि नहीं बना है जिसके कारण समाज की फरियाद सरकार तक नहीं पहुँच पाती है। बिहार राज्य में बरनवाल जाति की आबादी 12 लाख से अधिक रहने के बावजूद सरकार द्वारा 2022 के आँकड़ो में इसकी आबादी को बनिया कोड 122 के तहत 21 जातियों के साथ मात्र 30,26912 दिखाया गया है जो बरनवाल समाज के साथ अन्याय है जबकि बनिया समाज के अन्य 56 उपजातियों जैसे सोनार, तेली को अलग जाति कोड देकर जनसंख्या बताई गई है एवं मात्र 93,338,349,2360 आदि कम संख्या वाले जातियों को अलग कोड देकर आबादी दर्शायी गई है।
भवदीय
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