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वैश्य समाज के राजनीतिक भागीदारी कम करने की हो रही साजिश : डॉ आनंद कुमार

वैश्य समाज के राजनीतिक भागीदारी कम करने की हो रही साजिश : डॉ आनंद कुमार


वैश्य समाज के राजनीतिक भागीदारी कम करने की हो रही साजिश : डॉ आनंद कुमार

बिहार वैश्य महासभा के अधिकारियों की अहम बैठक, सरकार को चेतावनी गलत आंकड़े सरकार जल्द से जल्द सही करवाये नही सड़क पर उतरेगी वैश्य समाज

 पटना में बिहार सरकार द्वारा जारी जाति गणना रिपोर्ट पर आपत्ति जताते हुए बिहार वैश्य महासभा के पदाधिकारीयों द्वारा एक आवश्यक बैठक की गई। बैठक में बिहार वैश्य समाज के सभी उपजाति समेत अलग-अलग उपजातियो की गणना एवं सर्वे पर बिहार सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट पर गहन रूप से विचार किया गया। बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। प्रेस संबोधन में 

 बिहार वैश्य महासभा के अध्यक्ष डॉ आनंद कुमार ने कहा वैश्य समाज के साथ बहुत ही गलत व्यवहार किया जा रहा है। वैश्य समाज के अधिकांश मतदाता भाजपा समर्थक होते हैं, जिसके कारण एक साजिश के तहत उनकी संख्या को कमतर दिखाया गया हैl बिहार में वैश्य समुदाय की 56 उपजातियां हैं, जिसका प्रतिशत 27% है, जबकि जबकि आंकड़ा देते हुए उन्होंने बताया कि पिछड़ा, अति पिछड़ा तथा सामान्य जाति में आने वाली वैश्य की समस्त जातियां की संख्या समग्र रुप से मात्र 18% है।

उन्होंने आगे कहा कि पिछड़ा वर्ग में आने वाली बनिया जाति जिसमें करीब 20 वैश्य उप जातियां आती है, उसकी संख्या मात्र 2.31% दिखाया गया है, जो अवैध है। इस आंकड़े की जांच सरकार पुनः सही तरीके से करवाये नही तो वैश्य समाज सड़क पर उतरेगी। साथ डॉ आनंद कुमार ने 

सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि गलत आंकड़े जल्द से जल्द सही करवाये सरकार नही तो सड़क पर उतरेगी पूरे बिहार की वैश्य समाज।


सभा के महासचिव दिलीप कुमार गुप्ता ने कहा कि समस्त वैश्य उपजातियां को तीन श्रेणी यथा- सामान्य वैश्य, पिछड़ा वर्ग वैश्य तथा अत्यंत पिछड़ा वर्ग वैश्य के रूप में संयुक्त गणना होनी चाहिए थीl


प्रिंस राजू बरनवाल एवं आलोक पोद्दार तथा डॉक्टर अमित केसरी ने कहा कि बिहार का कोई भी ऐसा विधानसभा क्षेत्र नहीं है, जहां वैश्य की आबादी 10-20% नहीं होती है।

 गणना रिपोर्ट से ऐसा प्रतीत होता है की वैश्य की आबादी बिहार में 3% से भी कम हैl


 श्री योगेंद्र जायसवाल ने कहा कि संपूर्ण वैश्य समाज की गणना टुकड़े-टुकड़े में कर मानसिक दबाव बनाने के लिए वैश्य सम।ज की जनसंख्या को कम करके दिखाया गया है, ताकि समाज की राजनीतिक भागीदारी कम हो सके।


महिला सभा की अध्यक्ष कोमल बरनवाल एवं महामंत्री रीता जैन तथा प्रदेश उपाध्यक्ष क्रांति केसरी , रेनू गुप्ता, कल्याणी कुमारी एडवोकेट, निशा गुप्ताने भी बयान जारी कर बताया की वैश्य समाज की जाती - जनगणना सही ढंग से नहीं हुई एवं इसमें त्रुटी रह गई है।

वैश्य महासभा के अन्य पदाधिकारी प्रोफेसर संजय कुमार, सूरज प्रसाद, कृष्णा मुरारी अग्रवाल, शिव गुप्ता, पुरुषोत्तम जैन, विपुल कुमार गांधी, अमित गुप्ता एवं वैश्य समाज की विभिन्न उपजातियां के अध्यक्ष एवं महामंत्री ने बयान जारी कर इस जातीय जनगणना / सर्वे को त्रुटिपूर्ण बताया एवं सरकार से अनुरोध किया की बहुत सारे जो लोग वैश्य समाज के छूट गए उन सबको एक ग्रुप/ हेड के तहत जनगणना कर या सर्वे कराकर इनका प्रतिशत तय किया जाए । इन्होंने यह भी बताया की जारी रिपोर्ट में वैश्य समाज के सभी उपजातियां को एक जगह जोड़ देने से भी इस रिपोर्ट के मुताबिक 18% आबादी होती है,जो कि बिहार में सभी जातियों में सर्वाधिक है । सभी जातियां की जनसंख्या से भी वैश्य समाज की संख्या ज्यादा है।

अतः वैश्य समाज की राजनीतिक भागीदारी उसकी जनसंख्या के हिसाब से तय की जानी चाहिए।

महासभा के अध्यक्ष डॉ आनंद कुमार ने मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार का वैश्य समाज की उपजातियां तेली, तमोली , हलवाई इत्यादि को अति पिछड़ा में शामिल कर अति पिछड़ा के आरक्षण का लाभ देने के लिए धन्यवाद दिया साथ ही अनुरोध किया कि वैश्य समाज की अन्य उपजातियां जैसे बरनवाल, केसरवानी , रौनियार , माहुरी, सोनार, कलवार, अग्रहरि इत्यादि को भी अति पिछड़ा में शामिल किया जाए एवं अति पिछड़ा के आरक्षण का दायरा बढ़ाया जाए।

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