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रालोजपा अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मिथिलेश कुमार निषाद ने अपने सैंकड़ो कार्यकर्ताओं के साथ लोजपा (रा) की सदस्यता ग्रहण की

रालोजपा अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मिथिलेश कुमार निषाद ने अपने सैंकड़ो कार्यकर्ताओं के साथ लोजपा (रा) की सदस्यता ग्रहण की


लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की बढ़ती लोकप्रियता और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के विजन ‘बिहार फर्स्ट, बिहार फर्स्ट’से प्रभावित होकर रालोजपा अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मिथिलेश कुमार निषाद ने अपने सैंकड़ो कार्यकर्ताओं के साथ लोजपा (रा) की सदस्यता ग्रहण कर ली। श्री मिथिलेश कुमार ने पार्टी की सदस्यता खगड़िया जिले के बेलदौर में आयोजित मिलन समारोह में लोजपा (रा) सुप्रीमों श्री चिराग पासवान की उपस्थिति में ग्रहण की।

श्री चिराग ने सभी नव-आगन्तुकों का स्वागत करते हुए बेलदौर में एक विशाल जन सभा को भी संबोधित किया। अपने संबोधन में श्री चिराग ने अपने पिता पद्म भूषण आदरणीय श्री रामविलास पासवान जी को याद करते हुए कहा कि जब 2019 में मेरे नेता, मेरे पिता चुनाव प्रचार के लिए इस मंच पर आप लोगों बीच आकर अपनी बातों को रख रहे थे। उस दिन अपने संबोधन में वो जाते-जाते कह कर गए थे कि चिराग जल्द ही आप सब के बीच आएगा। उस वक्त हम में से किसी ने यह कल्पना भी नहीं की थी कि इस मंच से आप लोगों के बीच उनका वह आखिरी संबोधन होगा। उसके बाद जिस तरीके से उनकी तबीयत खराब हुई और उनके निधन के बाद जिस तरीके तमाम विरोधी ताकतों ने मेरे खिलाफ पारिवारिक और राजनीतिक षडयंत्र रचा, परिवार और पार्टी को तोड़ने का प्रयास किया, लेकिन इन तमाम षडयंत्रों और प्रयासों के बीच कारण जानना बेहद महत्वपूर्ण है।

श्री चिराग ने कहा कि आज भी कई बड़ी सियासी ताकतें इस फिराक में लगी हुईं हैं कि कैसे मुझे समाप्त कर दिया जाए। आखिर उन सबको मुझसे इतनी नफरत क्यों, क्या क़सूर है मेरा? मेरा क़सूर बस इतना ही है न कि मैं बिहार में बेहतर शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की बात करता हूं। बिहार मे ही बिहारियों को रोजगार देने की बात करता हूं। यहां के किसानों और मजदूरों के हक, महिलाओं की सुरक्षा, बुजुर्गों के सम्मान और युवाओं के बेहतर भविष्य की बात करता हूं। बस यही क़सूर है मेरा। इसके अलावें ना तो मेरे पास आय से ज्यादा संपत्ति है ना मेरे ऊपर कोर्ट-कचहरी का मुकदमा चल रहा है, लेकिन तमाम लोगों को इस बात से परेशानी है कि मैं क्यों विकसित बिहार बनाने की बात करता हूं। मैं क्यों बिहारी युवाओं, महिलाओं और बुजूर्गों की आवाज बन रहा हूं। मैं क्यों बिहार को आगे ले जाने की बात कर रहा हूं।

अपने विजन ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ पर प्रकाश डालते हुए श्री चिराग ने कहा कि उनका मक़सद केवल राजनीति करना नहीं बल्कि बिहार के हक में अपने विजन को साकार करना है। इसे हर हाल में धरातल पर उतारना है। जब तक यह धरातल पर नहीं उतरेगा बिहार विकसित राज्य नहीं बनेगा। जिस दिन ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ धरातल पर उतरा उसी दिन से बिहार के निर्माण की शुरुआत होगी। प्रखंड स्तर पर आईटी सेक्टर खुलेंगे, उद्योग स्थापित होंगे, मेडिकल-इंजीनियरिंग के शिक्षण संस्थान खुलेंगे। प्रदेश का सर्वागीण विकास होगा इस सोच के साथ ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ काम कर रहा है, लेकिन इस विजन अकेले पूरा नहीं किया जा सकता सके लिए सभी के साथ की ज़रुरत है। सभी को चिराग पासवान बनना होगा और घर-घर जाकर ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ के बारे में बताना होगा। श्री चिराग ने वादा किया आप हमारे साथ एक कदम आगे बढ़ीए मैं सौ कदम आप लोगों के साथ चलने को तैयार हूं।

प्रदेश की मौजूदा सरकार और और उसके मुखिया नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए श्री चिराग ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री का दायित्व होता है पूरे प्रदेश को एक मुट्ठी में बांधकर रखना, लेकिन यह बिहार का दुर्भाग्य ही है कि हमें एक ऐसा मुख्यमंत्री मिला है जिसने हमे जात-पात और धर्म-मज़हब में बांटने काम किया है। कैसे भाई को भाई से अलग किया जाए, कैसे दलित को महादलित, पिछड़ा को अतिपिछड़ा मे बांटा जाए। उन्होंने समाज को कभी अगड़ा-पिछड़ा, कभी लव-कुश, कभी हिन्दू-मुस्लिम और कभी महिला-पुरुष में ही बांटने का काम किया। उन्होंने बांटा और हम बंटे। आज भी आजादी के 75 साल बाद यह गंभीर विषय है, जिसे हमें समझना होगा। आजादी के 75 वरसो के बाद भी आखिर क्या कारण है कि हमारा प्रदेश विकसित प्रदेश नहीं बना। देश के तमाम प्रदेश एक साथ आजाद हुए तो क्यों दिल्ली-मुंबई जैसे प्रदेश इतने आगे चले गए और बिहार आजादी के 75 साल बाद भी पिछड़ा प्रदेश कहलाता है। एक तरफ जहां दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर और गुजरात जैसे प्रदेशों में आईटी सेक्टर और उद्योगों की बात होती हैं, मेट्रों ट्रेन से आगे बुलेट ट्रेन की बात है वहीं हमारे बिहार में आजादी के 75 साल बाद भी हम बिहारियों को मूलभूत जरूरतों के लिए तरसना पड़ता है।
 

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