बिहार आर्थिक अध्ययन संस्थान, पटना एवं एलायंस फॉर टोबैको फ्री बिहार के संयुक्त तत्वावधान में तंबाकू नियंत्रण प्रयासों पर राज्य स्तरीय हितधारकों के साथ तंबाकू मुक्त बिहार विषय पर आयोजित परामर्श
बिहार आर्थिक अध्ययन संस्थान, पटना एवं एलायंस फॉर टोबैको फ्री बिहार के संयुक्त तत्वावधान में तंबाकू नियंत्रण प्रयासों पर राज्य स्तरीय हितधारकों के साथ तंबाकू मुक्त बिहार विषय पर आयोजित परामर्श ।
"तंबाकू छोड़ें परिवार से जुड़ें
पटना, 22 नवम्बर, 2022 आज बिहार आर्थिक अध्ययन संस्थान, पटना के सभागार में बिहार आर्थिक अध्ययन संस्थान, पटना एवं एलायंस फॉर टोबैको फ्री बिहार के तत्वावधान में 'तंबाकू नियंत्रण प्रयासों पर राज्य स्तरीय हितधारकों के साथ- तंबाकू मुक्त बिहार विषय पर एक परामर्श आयोजित किया गया। सर्वप्रथम डॉ. प्यारे लाल संस्थान के निदेशक ने सर्वप्रथम आज की परिचर्चा में उपस्थित सभी गणमान्य एवं विद्वत अतिथियों का स्वागत किया। तत्पश्चात् श्री दीपक मिश्र, सदस्य सचिव सीड्स ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि अभी जो तंबाकू का कार्यक्रम चल रहा है वह शहरी क्षेत्र में चल रहा है बिहार आर्थिक अध्ययन संस्थान का मुहिम है गाँवों की ओर चलें। सभी प्रकार के कैंसरों में तंबाकू के सेवन से जुड़े कैंसरों का हिस्सा 40 प्रतिशत है एवं 90 प्रतिशत मूँह का कैंसर तंबाकू के प्रयोग से होता है ऐसा विभिन्न मेडिकल शोध से पता चला है। तंबाकू सेवन पर रोक लगाने एवं तंबाकू से होने वाले विभिन्न प्रकार के कैंसर के बारे में वृहत पैमाने पर जन-जागरूकता फैलाने की जरूरत है।
डॉ. वी. पी. सिंह, सवेरा अस्पताल ने अपने वक्तव्य में बताया कि बिहार फैक्ट शीट-2022 के तहत बिहार में कुल वार्षिक अपशिष्ट के तौर पर सिगरेट से 3502 टन. बीड़ी 31004 टन, धुंआ रहित तंबाकु से 549.07 टन है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सबसे बड़ा रोल प्रचार प्रसार का है। शहरी क्षेत्र में तो प्रचार-प्रसार के कई माध्यम है पर ग्रामीण क्षेत्र मे प्रसार के माध्यम कम हैं। अतः उसपर ध्यान देना आवश्यक है।
श्री मनीश, अधीक्षक श्रम विभाग ने कहा कि आज 90 प्रतिशत लोग कृषि या खेती के काम से जुड़े हुए हैं। उनके विषय में गंभीर से सोचने की जरूरत है जिसका अभाव इस बजट में दिखा है। बिहार की जीडीपी बढ़ाने की आवश्यकत है। अर्थव्यवस्था को जीडीपी में कैसे जोड़े इसपर सोचने की जरूरत है। श्री कौशल किशोर कमल, आरक्षी उपाधीक्षक, सी.आई.डी. ने कहा कि इसके प्रसार एवं मोनिटर की व्यवस्था की जानी चाहिए। हमारा विभाग भी इसे गंभीरता से ले रही है।
डॉ. बी. के. मिश्रा ने कहा कि 60 लाख नौकरियों की सृष्टि की जाने की बात बजट में किया गया है जिसपर शंका है। 94 प्रतिशत असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं नौकरी का सृजन तो सिर्फ संगठित क्षेत्रों में ही होता है। असंगठित क्षेत्रों के लिए नौकरी की कोई विशेष स्कीम नहीं दिखा इस बजट में बिहार कृषि प्रधान देश है इसलिए कृषि पर सर्वाधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। जैविक खेती को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
डॉ सरिता मनोवैज्ञानिक, बिहेवियर अचानक बदलना संभव नहीं है। इसके लिए लगातार प्रयास की जरूरत है। श्री उपेन्द्र ना. विद्यार्थी अध्यक्ष टी.बी. एसोसियन ने अपने अध्यक्षीय भाषण में अपने वर्षों के अनुभव के आधार पर इसकी गंभीरता को बताया और संस्थान के साथ इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का आश्वासन दिया।
अंत में डॉ. प्यारे लाल निदेशक द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ सभा समाप्ति की घोषणा की।
इस परिचर्चा में भाग लेनेवालों में प्रमुख थे:-श्री बाल कृष्ण मिश्रा, श्री शिवलाल चौधरी, मो. मोख्तारूल हक, श्री एम. पी. सिन्हा, श्री शेखर जी, श्री राम शंकर शर्मा, श्री चितरंजन सहाय, श्री राहुल घोष श्री आशीष कुमार सिंह आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

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