भारतीय जीवन बीमा निगम हज़ारीबाग़ मंडल कार्यालय के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कर्मचारी कल्याण संघ की एक आम सभा होटल पेपर एंड सॉल्ट, हज़ारीबाग़, झारखंड में सम्पन्न हुई
बैठक की शुरुआत में जोनल महामंत्री ने सभी सदस्यों का स्वागत किया एवं नवीनतम घटनाओं से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि शुरुआत से ही अन्य पिछड़ा वर्ग पर आक्रमण होता आ रहा है। सदियों से पिछड़ी जातियां एवं शोषित तथा वंचित लोग सभी प्रकार के आक्रमणों को झेलते हुए आगे बढ़ने की कोशिश मात्र भी करते हैं तो विरोधी, सामंतवादी और रूढ़िवादी ताकते सभी प्रकार के हथकंडे अपनाकर येन-केन प्रकारेण इसकी धारा को कुंद करने का कोई भी प्रयास बाकी नहीं रखते हैं। उन्होंने बताया कि अगस्त 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री बीपी सिंह ने मंडल कमीशन की अनुसंशाओं को लागू किया था। न्यायालय का सहारा लेते हुए ब्रह्मणबादी व्यवस्था ने इसे तीन साल बिलंबित कर दिया और 08/09/1993 से यह भारतीय जीवन बीमा निगम में भी आया लेकिन मलाइदार सतह (क्रीमी लेअर) की दुष्परिणामों एवं दूरगामी अवरोधों के साथ आया। भारत सरकार की कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) क्रीमी लेयर की नित्य नई व्याख्या करता है। नवीनतम घटनाक्रम में समूह समतुल्यता (ग्रुप इक्विवेलेंस) का सहारा लेते हुए भारत सरकार ने सार्वजनिक उपक्रम, बीमा संस्थान, बैंक, सभी वित्तीय संस्थान में काम करने वाले लोगों की वेतन वाली आय को भी क्रीमी लेयर में लाने की पुरजोर कोशिश की है। हमें इसके विरुद्ध बड़ी लड़ाई लड़नी होगी अन्यथा सार्वजनिक उपकरणों में काम करने वाले सारे लोग इसकी चपेट में आ जाएंगे। चेन्नई उच्च न्यायालय का निर्णय ओबीसी सदस्यों के पक्ष में है लेकिन भारत सरकार ने इसे उच्चतम न्यायालय में पहुंचा कर ओबीसी वर्ग की परेशानी को बढ़ा दिया है। सरकार ने समूह समतुल्यता (ग्रुप इक्विवेलेंस) की नई व्याख्या में कनिष्ठ प्रबंधन (जूनियर मैनेजर) वाले लोग बैंक, बीमा, सर्वजनिक आर्थिक उपकरण आदि में काम करने वाले सरकारी एवं अर्ध-सरकारी संस्थानों के कर्मी केंद्रीय और राज्य सरकार के ग्रुप-ए के समतुल्य माने गए हैं । तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को ग्रुप-सी में रखा गया है, परंतु समस्या यह है कि नई व्यवस्था में ओबीसी के प्रमाण पत्र के लिए उनकी आय भी देखने की बात की जा रही है। कृषि और वेतन अथवा दोनों की सम्मिलित आए को क्रीमी लेयर की गणना से बाहर रखा जाए, इसके लिए हमें संघर्ष करना होगा।
क्षेत्रीय महामंत्री ने बताया कि भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के गाइडलाइन पत्रांक दिनांक 19/07/2021 एवं 06/11/2013 के अनुसार सार्वजनिक उपक्रम,बीमा, बैंक, सभी वित्तीय संस्थान के ओबीसी कर्मचारी वेलफ़ेयर संघ को बहुत सारी सुविधाए, कार्यालय स्पेस, पधाधिकारियों के पदस्थापन में प्राथमिकता, प्रबंधन से संघ की छमाही/त्रैमासिक मीटिंग, रोस्टर पर प्रशिक्षण, आदि कई माँगो को सम्मिलित किया गया है। वित्त मंत्रालय एवं DOPT के उक्त गाइडलाइन के जारी होने के क़रीब 9 वर्षों के बाद भी भारतीय जीवन बीमा निगम के प्रबंधन द्वारा जान बुझकर हमारे ओबीसी वेलफेयर से संबंधित पत्र को लागू नहीं कर रही है। इसके लिए पार्लियामेंटरी कमिटी फ़ोर ओबीसी, NCBC नयी दिल्ली को भी संज्ञान में दिया गया है। सभा में उपस्थित सभी सदस्यों ने एकजुटता से आपसी एकता बनाकर ज़ोरदार तरीके से लड़ाई लड़ने की भावना पर बल दिया।
खुले-सत्र की अंतिम कड़ी में नई कमेटी के गठन का कार्य किया गया जिसे सफलतापूर्वक संपन्न कराया गया। हजारीबाग शाखा से भाई नागेंद्र निश्चल को अध्यक्ष, हजारीबाग मंडल के भाई सुदर्शन प्रसाद को महामंत्री
एवं भाई बिनोद कुमार साव को कोषाध्यक्ष के रूप में चयनित किया गया। सभी शाखाओं से आए हुए प्रतिनिधियों ने अपनी अपनी समस्याओं से क्षेत्रीय कमेटी एवं नई कमेटी को अवगत कराया, काफी सकारात्मक माहौल में सारी समस्याओं पर चर्चा हुई। नए महामंत्री भाई सुदर्शन प्रसाद जी ने कहा कि हमारा ओबीसी एसोसिएशन कोई ट्रेड यूनियन जैसा नहीं है, यहां हम अपने अधिकारो-हितों को निगम में लागू कराने, सदस्यों के वेलफेयर एवं उनके शिकायतों का निवारण करवाते हैं। हजारीबाग मंडल ओबीसी वेलफेयर एसोसिएशन का अगला वार्षिक कॉन्फ्रेंस दिनांक 10 दिसम्बर 2022 को करना सुनिश्चित किया गया। नए अध्यक्ष भाई नागेन्द्र निश्चल जी ने वेलफ़ेयर संगठन को और मज़बूत करने पर ज़ोर दिया। उन्होंने क्रीमी लेयर, पोस्ट आधारित रोस्टर, न्यायपालिका में आरक्षण, अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की खाली जगहों पर भर्ती, जनसंख्या के आधार पर आरक्षण में भागीदारी, आदि अखिल भारतीय स्तर के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा किया। इस पूरे मीटिंग में सभी सदस्यों ने जय ओबीसी के नारों के साथ अपना जोश एवं दमख़म प्रदर्शित किया।
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