
युवा नेता अनुपम की अपील पर देशभर में मनाया गया जुमला दिवस
*युवा नेता अनुपम की अपील पर देशभर में मनाया गया जुमला दिवस*
*• बेरोज़गारी महँगाई निजीकरण के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया*
*• कहीं थाली बजाकर, कहीं जुमला केक काटकर तो कहीं रोज़गार मार्च निकालकर हुआ कार्यक्रम*
देश में बेरोज़गारी को बहस के केंद्र में लाने वाले 'युवा हल्ला बोल' संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम की अपील पर प्रधानमंत्री के जन्मदिन को देशभर में 'जुमला दिवस' के तौर पर मनाया गया। इस दौरान बेरोज़गारी, महँगाई और निजीकरण के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया। बेरोज़गार युवाओं में विशेष तौर पर उत्साह देखा गया, साथ ही बैंककर्मियों ने भी भारी संख्या में प्रदर्शन में हिस्सा लिया। इसी क्रम में मधेपुरा, सुपौल, और सहरसा में भी 'जुमला दिवस' के कार्यक्रमों का आयोजन हुआ।
मधेपुरा में सुनील यादव के नेतृत्व में 'युवा हल्ला बोल' का कार्यक्रम हुआ जिसमें भारी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। सुनील ने कोसी क्षेत्र की बदहाली पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार युवाओं की ताकत को कम करके न आंकें और बेरोज़गारी के संकट पर काम करना शुरू करे। सुनील ने कहा कि आगे और भी ऊर्जा के साथ 'पढ़ाई कमाई दवाई' से जुड़े मुद्दों को उठाकर सरकार की जवाबदेही तय की जाएगी।
सुपौल में अतिथि गृह के समीप ऋषि राज के नेतृत्व में युवाओं ने उत्साह के साथ बेरोज़गारी, महँगाई, निजीकरण के मुद्दे को उठाया और प्रधानमंत्री के जुमलों को याद किया। सुपौल जिले में ही सुखपुर पंचायत के हाई स्कूल मैदान में भी कार्यक्रम हुआ। ऋषि ने कहा कि अगर सरकार पढ़ाई कमाई दवाई के मुद्दों को गंभीरता से लेना शुरू नहीं करती तो आगे भी आंदोलन तेज किया जाएगा।
सहरसा में भी अनुपम की अपील का असर देखा गया जहाँ विश्वजीत सिंह के नेतृत्व में 'जुमला दिवस' कार्यक्रम हुए। विश्वजीत ने कहा कि अवसरों की कमी के कारण सहरसा के युवाओं को पटना दिल्ली जाना पड़ता है लेकिन अब 'युवा हल्ला बोल' इसको बदलने के लिए प्रतिबद्ध है।
मालूम हो कि लगातार दूसरे साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर पर जुमला दिवस, बेरोज़गार दिवस समेत कई नाम से विरोध प्रदर्शन किए गए हैं। कार्यक्रम तो कई राज्यों में हुए लेकिन मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश बिहार झारखंड के अधिकतर जिलों में कार्यक्रम हुए। इस अवसर पर कहीं ताली थाली बजायी गयी, कहीं जुमला केक काटा गया तो कहीं बेरोज़गारी मार्च निकाली गयी।
अनुपम ने बताया गया कि 'जुमला दिवस' मनाने के पीछे मोदी जी पर व्यक्तिगत प्रहार करने की कोई मंशा नहीं है। व्यक्तिगत तौर पर तो हम उनकी लंबी आयु की शुभकामना देते हैं और ईश्वर से सद्बुद्धि और संवेदनशीलता देने की भी कामना करते हैं। लेकिन राजनेताओं के व्यक्तिगत जीवन में ही राजनीतिक संदेश होता है। जिस तरह किसी नेता की पहचान किसानों से होने पर उनकी जयंती किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिनकी शिक्षकों से रही तो शिक्षक दिवस और जिनका बच्चों से प्यार रहा उनके लिए बाल दिवस। उसी तरह मोदी जी की सबसे मजबूत पहचान आज "जुमलों" से होती है। बेरोज़गार युवाओं, सरकारी कर्मचारियों, मध्यम वर्ग, किसानों, महिलाओं सबको किए वादे आज जुमला साबित हुए हैं।
दो करोड़ रोज़गार, पेट्रोल डीजल सस्ती करने का वादा, विदेश से काला धन वापिस लाना, गंगा सफाई करना, संसद को अपराधियों से मुक्त करना, बहुत हुई महँगाई की मार, देश नहीं बिकने दूंगा, रेलवे का कभी निजीकरण नहीं होगा जैसे न जाने कितने वादों की गिनती आज जुमलों की फेहरिस्त में होती है। इसलिए आज देश मजबूर है उनके जन्मदिन को 'जुमला दिवस' के रूप में मनाने को। सफल कार्यक्रम के लिए 'युवा हल्ला बोल' के कार्यकारी अध्यक्ष गोविंद मिश्रा ने सभी को बधाई दिया। उन्होंने कहा "आज बधाई उन शिक्षित योग्य युवाओं को रोज़गार के नाम पर दिए गए जुमले के खिलाफ आज आवाज उठाए, बधाई उन बैंक कर्मियों को जो बैंकों के निजीकरण के खिलाफ आज बोले, बधाई उन नागरिकों को जो आज महंगाई पर बोले, समाज के हर वर्ग को आज जुमला दिवस मनाने पर बधाई।" गोविंद मिश्रा ने कहा कि पढ़ाई, कमाई और दवाई के लिए चल रहे युवा हल्ला बोल के मुहिम को अब और मजबूती से देश भर में ले जाएंगे साथ ही देश भर में संगठन विस्तार भी करेंगे।
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