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पटना में भगवान महावीर स्वामी का निर्वाणोत्सव पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया गया

पटना में भगवान महावीर स्वामी का निर्वाणोत्सव पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया गया


जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का मोक्ष कल्याणक (निर्वाणोत्सव) आज पटना सहित पूरे देशभर में श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया गया। पटना के सभी जैन मंदिरों में प्रातः भगवान के अभिषेक, शांतिधारा और पूजन के बाद लाडू चढ़ाने की परंपरा निभाई गई। जैन समाज के एम.पी. जैन ने बताया कि श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर कदमकुआं में भगवान को प्रथम लाडू चढाने का सौभाग्य मंजू बेनाड़ा को एवं शांतिधारा का सौभाग्य विमल पाटनी को प्राप्त हुआ। इसके साथ ही मीठापुर में राजकुमार पाटनी, कमलदह में सोनू जैन, सुरेश बेबी जैन सुनील एवं काला चंदा, सुनील छाबड़ा, नवीन बढ़जात्य, अतुल जैन, गुरारा मंदिर में तिलक जैन, कालीबीबी कटरा में मुकेश जैन एवं अशोक कासलीवाल सहित सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से भगवान को निर्वाण लाडू चढाया। बिहार स्टेट दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र समिति के मानद सचिव पराग जैन ने बताया कि भगवान महावीर का निर्वाण कार्तिक अमावस्या को प्रातः चार बजे पावापुरी में हुआ था। इसी उपलक्ष्य में जैन समाज इस दिन लाडू चढ़ाकर और दीप प्रज्ज्वलित कर भगवान को नमन करता है। उन्होंने बताया कि इसी दिन भगवान महावीर के प्रथम शिष्य गौतम गणधर स्वामी को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी, इसलिए यह दिन जैन समाज के लिए अत्यंत आध्यात्मिक महत्व रखता है। भगवान महावीर के मोक्षस्थल पावापुरी में इस अवसर पर देशभर से हजारों श्रद्धालु पहुंचे और जलमंदिर में लाडू चढ़ाकर भगवान को नमन किया। *जैन धर्म में लाडू चढ़ाने का महत्व*
एम.पी. जैन ने बताया कि लाडू गोल आकार का होता है, जिसका अर्थ है — जिसका न आरंभ है, न अंत। यह हमारी आत्मा की अखंडता का प्रतीक है। लाडू बनाने की प्रक्रिया — बूँदी को कड़ाही में तपाना और फिर चाशनी में डुबोना — आत्मा की तपश्चर्या और मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक है। जैसे बूँदी तपने के बाद मीठी हो जाती है, वैसे ही आत्मा भी तप और संयम के बाद मोक्षरूपी मधुरता प्राप्त करती है।
*जैन धर्म में पटाखे और आतिशबाजी वर्जित*
एम.पी. जैन ने कहा कि जैन धर्म अहिंसा परमो धर्म के सिद्धांत पर आधारित है। इसलिए दीपावली एवं निर्वाणोत्सव पर जैन धर्मावलंबियों ने पटाखे और आतिशबाजी से परहेज़ किया तथा ध्यान और पूजा में लीन रहे।
जैन धर्म मानता है कि पटाखों से सूक्ष्म जीवों की हिंसा होती है और पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ता है। जैन समाज सत्य, अहिंसा और पर्यावरण संरक्षण के मार्ग पर चलते हुए भगवान महावीर के उपदेशों को जीवन में उतारने का प्रयास करता है।
*फ़िल्म “तीर्थंकर” में हुआ भगवान के निर्वाणोत्सव का चित्रण*
 इस वर्ष पावापुरी में मनाए जा रहे भगवान महावीर निर्वाणोत्सव की शूटिंग देश की पहली एनिमेटेड एवं डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म “तीर्थंकर – जैनत्व के कल, आज और कल” के लिए की गई।
फ़िल्म के निर्देशक पटना के राजेन्द्र जैन ने बताया कि पावापुरी के इस भव्य धार्मिक आयोजन को फ़िल्म में दर्शाया जा रहा है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ जैन धर्म की महान परंपरा और भगवान महावीर के उपदेशों से प्रेरित हो सकें।

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