
पारस एचएमआरआई के डॉक्टरों ने ब्रेन ट्यूमर से जूझ रहे 6 साल के बच्चे की बचाई जान
*पारस एचएमआरआई के डॉक्टरों ने ब्रेन ट्यूमर से जूझ रहे 6 साल के बच्चे की बचाई जान*
• सिलीगुड़ी से इलाज कराने पहुंचा पटना, सफल सर्जरी की गई
• ब्रेन के दाएं साइड में 6*8 सेंटीमीटर का ट्यूमर पाया गया
पटना।
पारस एचएमआरआई के डॉक्टरों ने ब्रेन ट्यूमर से जूझ रहे सिलीगुड़ी के एक 6 साल के बच्चे की जान बचा ली। पिछले 6 महीने से उसे सिर में दर्द के साथ उल्टियां आ रही थीं। धीरे-धीरे बाएं पैर और हाथ में कमजोरी भी महसूस होने लगी, जिसके बाद वह डॉक्टर के पास पहुंचा था। स्थानीय डॉक्टरों की दवाएं जब बेअसर रहीं तो वह पटना स्थित पारस एचएमआरआई पहुंचा। सिर में दर्द जैसे लक्षण के कारण तत्काल एमआरआई कराया गया, जिसमें उसके ब्रेन के दाएं साइड में टेनिस बॉल से भी बड़ा ट्यूमर दिखा। एक दिन बाद ही डॉक्टरों की टीम ने सफल सर्जरी से ट्यूमर को निकाल दिया। अब वह बिल्कुल स्वस्थ है और पैर-हाथ की कमजोरी की समस्या भी दूर हो गई है।
अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के डायरेक्टर और एचओडी *डॉ. अंबुज कुमार* ने बताया कि बच्चे के ब्रेन के दाएं साइड में 6*8 सेंटीमीटर का ट्यूमर पाया गया, जो एक गंभीर मेडिकल कंडीशन है। हमलोगों ने एक दिन बाद ही सफल सर्जरी से ट्यूमर को निकाल दिया। लगभग 1 महीने में उसके हाथ और पैर की कमजोरी भी ठीक हो जाएगी। अब वह बिल्कुल स्वस्थ है।
पारस एचएमआरआई के *जोनल डायरेक्टर अनिल कुमार* ने बताया कि बच्चे के माता-पिता ऑपरेशन कराने में सक्षम नहीं थे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की मदद से सफल ऑपरेशन किया गया। इस तरह के ट्यूमर को जल्द से जल्द निकालना जरूरी होता है। इसलिए तत्काल डॉक्टरों की टीम ने ऑपरेशन का निर्णय लिया।
*पारस एचएमआरआई के बारे में*
पारस एचएमआरआई पटना ने 2013 में परिचालन शुरू किया। यह बिहार का पहला कॉर्पोरेट अस्पताल है जिसके पास परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड द्वारा लाइसेंस प्राप्त कैंसर उपचार केंद्र है। जून 2024 में एक्सेस किए गए एनएबीएच पोर्टल के अनुसार, पारस एचएमआरआई अस्पताल, पटना 2016 में एनएबीएच मान्यता प्राप्त करने वाला बिहार का पहला अस्पताल था। 30 सितंबर 2024 तक इस अस्पताल की बेड क्षमता 350 बेडों की है, जिसमें 80 आईसीयू बेड शामिल हैं।
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