केंद्रीय श्रमिक संगठन और संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 16 फरवरी 2024 को औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल और राष्ट्रव्यापी ग्रामीण बंद का आह्वान
*केंद्रीय श्रमिक संगठन और संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 16 फरवरी 2024 को औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल और राष्ट्रव्यापी ग्रामीण बंद का आह्वान*
*बंद/हड़ताल किसान, मजदूर, सहित छात्र, युवा, महिला, शिक्षक, वाहन चालक, योजनाकर्मी, पेशेवर, कलाकार, साहित्यकार, और जन-संगठन की एकता और एकजुटता की कार्रवाई*
*केन्द्रीय श्रमिक संगठन और संयुक्त किसान मोर्चा ने बिहार सरकार से 16 फरवरी को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित मैट्रिक परीक्षा की तिथि को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया*
आज पटना के केदार भवन में केन्द्रीय श्रमिक संगठन, बिहार और संयुक्त किसान मोर्चा, बिहार की संयुक्त राज्यस्तरीय बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में 16 फरवरी 2024 के औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल और राष्ट्रव्यापी ग्रामीण बंद के कार्यान्वयन पर विस्तृत चर्चा की गई।
मोदी सरकार की नीतियों ने किसानों और मजदूरों को एक भयानक त्रासदी में धकेल दिया है। बढ़ती बेरोजगारी, गिरती आय और महंगाई ने श्रमिकों पर कहर ढ़ा दिया है। निजीकरण और ठेकाकरण की नीतियों ने बेरोज़गारी के संकट को और बढ़ा दिया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने और किसानों की आय दोगुनी करने के वादा के सत्ता में आई मोदी सरकार ने किसानों के साथ विश्वासघात किया है। किसान और मजदूर कर्ज और मंहगाई की मार झेल रहे हैं, वहीं बड़े उद्योगपतियों को लाखों करोड़ों की ऋण माफी और कर कटौती बांटी जा रही है। केन्द्र सरकार ने मनरेगा और कृषि बजट में अभूतपूर्व कटौती की है।
वहीं, बिहार सरकार ने भी किसानों और मजदूरों के साथ धोखा किया है। एपीएमसी मंडी, फसल बीमा, जमीन का उचित मुआवजा, सहित बिहार के किसानों की एक भी मांग को पूरा नहीं किया गया है। बिहार के किसानों की आय देश के किसानों की औसत आय की आधी है। मनरेगा मजदूर, योजनाकर्मी, वाहन चालक, शिक्षक, समेत सभी श्रमिक बिहार सरकार की मजदूर-विरोधी नीतियों से त्रसत हैं।
इन मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी, जन-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीतियों के खिलाफ केंद्रीय श्रमिक संगठन और संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी 2024 को राष्ट्रव्यापी ग्रामीण बंद और औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल का आह्वान किया है। इस बंद/हड़ताल के माध्यम से एमएसपी की कानूनी गारंटी करने, चार श्रम संहिताओं को रद्द करने, योजनाकर्मियों को नियमित करने, पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) को पुनः बहाल करने, बिहार में एपीएमसी अधिनियम को बहाल करने, बटाईंदार किसानों का निबंधन करने, किसानों को उनकी जमीन का उचित मुआवजा देने, प्रगतिशील भूमि सुधार को लागू करने, युवाओं को रोजगार देने, निजीकरण को बंद करने, मनरेगा की मजदूरी और कार्यदिवस बढ़ाने, महंगाई पर रोक लगाने, खाद्य सुरक्षा की गारंटी करने, सहित आजीविका के वास्तविक मुद्दों को राष्ट्रीय एजेंडे में वापस लाया जाएगा।
केन्द्रीय श्रमिक संगठन और संयुक्त किसान मोर्चा नें छात्रों, युवाओं, महिलाओं, योजनाकर्मियों, शिक्षकों, डॉक्टरों, वकीलों, पेशेवरों, छोटे व्यापारियों, ट्रक/वाहन चालकों, छोटे और मध्यम उद्यमियों, पत्रकारों, पेंशनधारीयों, सामाजिक आंदोलनों, और कला, संस्कृति, साहित्य के क्षेत्र से जुड़े लोगों सहित सभी जन-संगठनों से औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल और ग्रामीण बंद का समर्थन करने और इस कार्रवाई में उनके अपने संघर्षों का समन्वय करने की अपील की। ट्रक चालकों ने भी भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 (1) और (2) के खिलाफ हड़ताल का आह्वान किया है।
केन्द्रीय श्रमिक संगठन और संयुक्त किसान मोर्चा ने बिहार सरकार से 16 फरवरी को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित मैट्रिक परीक्षा की तिथि को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया (पत्र संलग्न)।
आज की बैठक में गणेश शंकर सिंह, गज़नफर नवाब, आरएन ठाकुर, श्रीनंदन मंडल, अजय चटर्जी, कौशलेन्द्र कुमार, हरदेव ठाकुर, उमेश सिंह, विनोद कुमार, नंद किशोर सिंह, इंद्रदेव राय, ऋषि आनंद, सहित बिहार के प्रमुख मजदूर-किसान नेता उपस्थित रहे। बैठक की अध्यक्षता गणेश शंकर सिंह और ऋषि आनंद ने की।
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