अल्पसंख्यक दिवस ने आज़ादी की याद को किया ताज़ा हर धर्म जाति वर्ग की समान थी भागेदारी - इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहम
*अल्पसंख्यक दिवस ने आज़ादी की याद को किया ताज़ा हर धर्म जाति वर्ग की समान थी भागेदारी - इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद*
पटना - इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद ने सभी देशवासियों को एवं अल्पसंख्यक को अल्पसंख्यक दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भले ही भारत में अनेक विदेशियों ने शासन किया और अल्पसंख्यक होते हुए भी यहां अपने वर्चस्व को बढ़ाया और एक अधिकार जमाया। परंतु भारत ने इन क्रूर शासन एवं आक्रमणकारियों का एकजुटता से डटकर मुकाबला किया।
भारत की आजादी में हर एक धर्म जाति वर्ग के लोगों ने समान रूप से बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और भारत को एक स्वतंत्र राज्य बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई।
यही कारण है कि आजादी के बाद जब भारत पाकिस्तान बंटवारा हो रहा था तो उस समय भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अल्पसंख्यक के अधिकार के लिए अपनी आहुति दे दी और नाथूराम गोडसे के द्वारा शहीद हो गए।
तथापि उनका कहना था कि भले ही पाकिस्तान और बांग्लादेश भारत से अलग हो चुके हैं लेकिन जो भारत में रहना चाहते हैं उनका एक समान अधिकार है और रह सकते है।
भारतीय संस्कृति की एक मूल्य इतिहास यह है कि भारत ने कभी भी अपनी ओर से किसी भी देश या साम्राज्य पर प्रथम आक्रमण नहीं किया।
आज अल्पसंख्यक दिवस पर इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद ने कहा कि अल्पसंख्यकों के अधिकार एवं उनके सामान हिस्सेदारी की बात करते हुए कहां की भारत में अल्पसंख्यको ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम एवं हर एक कार्य में समान रूप से अपना योगदान दिया है।
संविधान रचयिता एवं आदर्श बाबासाहेब आंबेडकर ने भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों को समान अधिकार दिया है।
इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद ने कहा कि अल्पसंख्यक वह होते हैं जो भाषाई एवं जातीय तथा संख्या के आधार पर अल्प यानी कम होते हैं।
अल्पसंख्यकों में मुस्लिम, जैन, बौद्ध, पारसी, सिख ,इसाई धर्म के लोग आते है।
भारतीय संविधान के खूबसूरती है कि अल्प संख्या में रोते हुए इन धर्मों का वही समान अधिकार है जितना बहुसंख्यक धर्म का भारत में अधिकार है।
भारत ने अल्पसंख्यकों के लिए एक विशेष मंत्रालय का भी प्रावधान किया है जो विशेषकर अल्पसंख्यक अधिकार एवं उनके उत्थान के लिए कार्य करती है।
इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद ने कहा कि आज अल्पसंख्यक भारतीय प्रशासनिक राजनीति खेल जगत एवं हरे क्षेत्र में समान भागीदारी एवं एकजुटता से कार्य कर रहे हैं।
भारत में अल्पसंख्यक के साथ कभी भेदभाव नहीं किया गया।
परंतु कुछ धार्मिक आधार पर बनी राजनीतिक दलों ने भारत में आपसी सौहार्द बिगड़ने का एवं लोकतंत्र की बहुसंख्यक वाले प्रावधानों को इस्तेमाल करते हुए हिंदू मुस्लिम की भावना भड़का कर अपना वर्चस्व एवं एकाधिकार बनाना चाहती है।
आगे उन्होंने विस्तार पूर्वक से अल्पसंख्यक दिवस के बारे में बताते हुए कहा कि अल्पसंख्यक दिवस 18 दिसंबर 1992 से आरंभ किया गया था।जिससे अल्पसंख्यकों पर उत्पीड़न एवं उनके साथ भेदभाव ना किया जाए एवं इस बात का हमेशा स्मरण दिलाता रहे के अल्पसंख्यक भी समान रूप से भारतीय लोकतंत्र में एक है।एवं उनके अधिकार एवं उत्थान के लिए कार्य करना संविधान का कर्तव्य बनता है।
फलक संविधान में अल्पसंख्यक ओके अधिकार के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ा है।
परंतु इसको पूरी तरह से लागू करने एवं उनको लोकतंत्र में समान अधिकार दिलाने के लिए अभी भी जागरूकता एवं एकजुटता की आवश्यकता है।
आज भारत जातिवाद धर्म वाद एवं भेदभाव के आग में झुलस रहा है।
यह सब दिन वहीं राजनीतिक दल की है जिन्होंने धार्मिक एवं जातीय आधार पर अपनी सत्ता बनाने का काम किया है। हालांकि इस बात को भारतवासी जानते हैं कि उनके साथ शुरू से धार्मिक और जातीय आधार पर शासन किया गया है।
यही कारण था कि भारत पर अनेक विदेशियों ने आक्रमण कर अपने एकाधिकार को जमाया और उनके साथ उत्पीड़न कर धार्मिक एवं जाति आधार पर अपनी सत्ता बनाई।
आज उसी अंग्रेज के रूप में भारत में ही दूजे अंग्रेज हैं जो भारतीय लोकतंत्र को बिगाड़ कर एक अधिकार एवं जातीय और धार्मिक आधार पर अपनी सत्ता बनाना चाहते है।
जबकि भारतीय संविधान में हर एक नर नारी धर्म जाति वर्ग समुदाय लोगों का समान रूप से एक अधिकार है।
भारतीय लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों को भी विशेष अधिकार दिया गया है जो निम्नलिखित है।
इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद ने कहा कि अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार
भारतीय संविधान में धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों को अनुच्छेद 29 और 30 में विशेष अधिकार दिए हैं ।
अनुच्छेद 29(1) के अनुसार किसी भी समुदाय के लोग जो भारत के किसी राज्य मे रहते हैं या कोई क्षेत्र जिसकी अपनी आंचलकि भाषा, लिपि या संस्कृति हो, उस क्षेत्र को संरक्षित करने का उन्हें पूरा अधिकार होगा। ये प्रावधान जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के तहत है।
अनुच्छेद 30(1) के तहत सभी अल्पसंख्यकों को धर्म या भाषा के आधार पर अपनी पसंद के आधार पर अपनी शैक्षिक संस्था को स्थापित करने का अधिकार है।
संविधान में अल्पसंख्यक शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है अल्पसंख्यकों को शिक्षा
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 - में समानता औऱ सामाजिक न्याय के हित में शैक्षणिक रुप से पिछड़े अल्पसंख्यकों की शिक्षा पर विशेष बात कही गयी है । 1992 में इसमें दो नई योजनाएं जोड़ दी गयी।
शैक्षिक रुप से पिछड़े अल्पसंख्यकों के लिए गहन क्षेत्रीय कार्यक्रम
मदरसा शिक्षा आधुनिकीकरण वित्तीय सहायता योजना 1993-94 के दौरान शुरु की गयी ।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्था आयोगका गठन 2004 में किया गया । जिसके तहत अस्पसंख्यक संस्थाएं अनुसूचित विद्यालय से स्वयं को संबद्ध कर सकती हैं। वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय , पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय , असम विश्वविद्यालय, नागालैंड विश्वविद्यालय और मिजोरम विश्विविद्यालय इस सूची में आते हैं ।
भारतीय लोकतंत्र एवं पवित्र महा ग्रंथ संविधान ने अल्पसंख्यकों को ही नहीं बल्कि सभी धर्म जाति वर्ग के लोगों को समान रूप से एक अधिकार दिया है।
जिसे जानने और समझने की आवश्यकता है।
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